ख्वाहिशों के बादल आँगन में मंडराते हैं
फ़ूल जैसे तितलियों को पास बुलाते हैं
सहर में बदलते आसमाँ के रंग
ख़ुमार बन तुम्हारी चूड़ियों में खनक जाते हैं..
फ़ूल जैसे तितलियों को पास बुलाते हैं
सहर में बदलते आसमाँ के रंग
ख़ुमार बन तुम्हारी चूड़ियों में खनक जाते हैं..
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