Thursday, July 1, 2010

तमन्ना

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शाम की बारिश में संग घूम लें

बूंदों को बटोरें, बादल चूम लें

भीगे-भीगे से लम्हों में झूम लें


उछल के ख्वाहिशों के गुच्छे तोड़ लें

आज़माईश है किस्मत तो ज़रा हाथ मरोड़ लें

खुशियों को अपनी साथ-साथ जोड़ लें


रंग-बिरंगे पन्नों से इश्तहार काट लें

खट्टी है ज़िंदगी अचार चाट लें

चलो आज थोड़ा-सा खुमार बांट लें

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