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शाम की बारिश में संग घूम लें
बूंदों को बटोरें, बादल चूम लें
भीगे-भीगे से लम्हों में झूम लें
उछल के ख्वाहिशों के गुच्छे तोड़ लें
आज़माईश है किस्मत तो ज़रा हाथ मरोड़ लें
खुशियों को अपनी साथ-साथ जोड़ लें
रंग-बिरंगे पन्नों से इश्तहार काट लें
खट्टी है ज़िंदगी अचार चाट लें
चलो आज थोड़ा-सा खुमार बांट लें
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