तुम्हारी नाराजगी भी तुमसे हँसी कम नहीं
मैं और करीब होता हूँ ज़हन में
तुम चुपचाप शिकायत कर देती हो
मैं लिख लेता हूँ तुम्हारी उँगलियों से
अपना नाम, मुजरिम
मीठी मीठी बातों का
तुम भी यही तो कहती हो
मैं और करीब होता हूँ ज़हन में
जब प्यार से गुस्सा करती हो...
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